मंगलवार, 19 अगस्त 2014

vivek virendra pathak hindi poem: हमें  ग़म  में ना  जीने दो ,हमें  कम भी ना जीने  द...

vivek virendra pathak hindi poem: हमें  ग़म  में ना  जीने दो ,




हमें  ग़म  में ना  जीने दो ,
हमें  कम भी ना जीने  दो । 
थोड़ा तो पास का  अहसास ,
हमें  भी तो  करने  दो ॥ 


तक़ल्लुफ़ कर  जरा  मुस्कान ,
अधरों  पर तो आने दे । 
कुछ पल के लिए ही,
मेरे  तन में जान आने दो ॥ 

कोई  रात की रानी है कहता ,
कोई दिन में अधखुली गुलाब । 
हजारों शोधकर्ता खोजते  सुंदरता का राज़ ,
क्या कहूँ ,कैसे कहूँ ,तुम हो मेरी जिंदगी की आगाज़ ॥

कोई टिप्पणी नहीं: