बुधवार, 30 अप्रैल 2014

JEEWAN PATH

जीवन पथ 

                      (१ )
जीवन पथ पर मिलते ,संग चलते ,कुछ बिछुड़ जाते हैं 
कभी सज्जन ,कभी दुर्जन मिलते ,साथ छोड़ जाते हैं 
न होता बिछुड़े का  वियोग ,हो जाता  नव संयोग 
अन्तःस्थल से आती  आवाज ,गाते  रहो नवजीवन  का राग 
हमेशा ख़ुशी,खुश ही रहो ,कभी आने न दो गम 
चलना है जीवन ,चलते  ही रहो,जीवन में लाओ नव उमंग 
          कभी समतल ,कभी ऊबड़ -खाबड़ पग मिलते ,फिर भी चलते  
          लड़खड़ाए फिर ब्भी  चलें ,निश्चित लक्ष्य हैं  मिलते 
          आराम है हराम ,जब तक नहीं मिलता  विराम 
          सच्चे अर्थों  में यहीं है जीवन का नाम 
                     (२)
इरादे यदि हैं बुलंद ,लक्ष्य के प्रति है समर्पण मन में 
दुर्बोध परिश्रम से उलटफेर  कर दोगे प्रारब्ध में 
धरा पर कोई नहीं रोक सकता ,जुटे रहो यदि श्रम से 
निश्चित लक्ष्य हैं  मिलते ,खुश हो जायेगा ईश  तुमसे 
                (३)
लक्ष्य के प्रति समर्पण रहा ,जो एवरेस्ट पर पहुँचे 
नहीं था जिनका सच्चा  ,समर्पण टपक आए नीचे 
जिंदगी में    कुछ  भी असंभव नहीं रह गया आज 
ठान यदि मन में लिया है ,कर लोगे हर काज