गुरुवार, 24 अप्रैल 2014

एक छोटी सी  बच्ची

एक छोटी सी  बच्ची
उम्र बड़ी  है  कच्ची 
कभी सोती,कभी जगती
कुछ पल जागती ,फिर सोती 
 अनजानी  है इस जग से 
बेगानी हो जाएगी इस घर से
 एक छोटी सी बच्ची 
जब बन जाएगी स्त्री 
चढ़ेंगी दहेज़  की बलि बेदी पर 
करेगी आत्मसमर्पण जीवनभर 
नहीं पता धान की पौध है  
एक खेत वीरान 
दूसरे में हरियाली होगी 
कष्टों की शहनाई होगी 
पैरों में बड़ी होगी 
जब बच्ची एक स्त्री होगी